भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई (RBI) ने लगातार तीसरी बार नीतिगत दर रेपो को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है. इसका मतलब है कि मकान, वाहन समेत विभिन्न कर्जों पर मासिक किस्त (ईएमआई) में कोई बदलाव नहीं होगा. इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए अपने आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को भी 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है.
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति ने सर्वसम्मति से रेपो रेट को 6.50% पर अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया है. हमारी अर्थव्यवस्था उचित गति से बढ़ती रही है और दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गयी है और वैश्विक विकास में लगभग 15% का योगदान दे रही है.
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा करते हुए क्या कहा जानें
-वैश्विक स्तर पर अनिश्चितताओं के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर मजबूत बनी हुई है.
-मौद्रिक नीति समिति की तीन दिवसीय बैठक में आम सहमति से नीतिगत दर को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखने का निर्णय किया गया.
-देश की वृहद आर्थिक स्थिति मजबूत है, दुनिया के लिये आर्थिक वृद्धि का इंजन है.
-भारतीय अर्थव्यवस्था ने महंगाई के नियंत्रण की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की, हालांकि खाद्य मुद्रास्फीति चिंता का विषय है.
-मौद्रिक नीति समिति मुद्रास्फीति पर निगाह रखेगी. मुद्रास्फीति को लक्ष्य के दायरे में लाने को प्रतिबद्ध है.
-भारत वैश्विक चुनौतियों से निपटने के मामले में अन्य देशों के मुकाबले बेहतर स्थिति में, मौजूदा परिस्थतियों को देखते हुए चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है.
-वैश्विक अर्थव्यवस्था के समक्ष मुद्रास्फीति, भूराजनीतिक अनिश्चितता तथा प्रतिकूल मौसम परिस्थितियों की चुनौतियां हैं.
-ग्रामीण क्षेत्रों में रोजमर्रा के उपभोग के सामान की बिक्री बढ़ी, जो ग्रामीण मांग में सुधार का संकेत, खरीफ की कटाई के साथ यह और सुधरेगी.
-वाणिज्यिक क्षेत्र को संसाधनों का प्रवाह इस साल बढ़कर 7.5 लाख करोड़ रुपये हुआ। पिछले साल यह 5.7 लाख करोड़ रुपये था
-आगामी त्योहारों के दौरान निजी उपभोग तथा निवेश गतिविधियों को समर्थन मिलने की उम्मीद है.
-टमाटर की कीमतों में उछाल और अनाज, दालों के दाम बढ़ने से मुद्रास्फीति पर असर, सब्जियों की कीमतों में बड़ा सुधार हो सकता है.
-आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान बढ़ाकर 5.4 प्रतिशत किया. दूसरी तिमाही में खुदरा मुद्रास्फीति 6.2 प्रतिशत, तीसरी में 5.7 प्रतिशत और चौथी में 5.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है.
-हालिया हफ्तों में कच्चे तेल की कीमतों में अस्थिरता रही है और मांग तथा आपूर्ति की अनिश्चितताओं के कारण क्षेत्र में कई आशंकाए हैं.
-दो हजार का नोट वापस लेने, सरकार को लाभांश की वजह से अधिशेष तरलता का स्तर बढ़ा है.
-नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) 4.5 प्रतिशत पर यथावत है.
-चालू खाते का खाता काफी हद तक प्रबंधन के दायरे में. इसे सेवा निर्यात और विदेश में रहने वाले भारतीयों द्वारा भेजे जाने वाले धन से मदद मिलेगी.
-अप्रैल-मई के दौरान शुद्ध रूप से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) गिरकर 5.5 अरब डॉलर हुआ, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 10.6 अरब डॉलर था.
-फ्लोटिंग ब्याज दर वाले कर्ज के लिए ब्याज दरें नये सिरे से तय करने के लिए एक पारदर्शी प्रणाली का प्रस्ताव है.
-जनवरी 2023 से भारतीय रुपया स्थिर बना हुआ है, विदेशी मुद्रा भंडार 600 अरब डॉलर के पार चली गयी है.
-रिजर्व बैंक का कर्ज लेने वाले ग्राहकों को निश्चित ब्याज दर की ओर स्थानांतरित होने की अनुमति देने को एक ढांचा लाने का प्रस्ताव है.
-रिजर्व बैंक नरम नीतिगत रुख को वापस लेने पर ध्यान देना जारी रखेगा.
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